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Posts By Shraddha Bakshi

तुम धरती आकाश हमारे सा रे गा मा पर ये गीत चल रहा था और चार वर्ष की रुनझुन अपनी मम्मी के पीछे-पीछे घंटी लिए घूम रही थी । माँ पूजा की तैयारी कर रही थीं। मैं किसी काम से पूना आयी तो मामीजी के घर चार दिन के लिए ठहरी । रुनझुन की बातें सबका मन मोह लेती थीं…

पर्वतीय क्षेत्रों की सैर कर के आए लोगों से अगर आप पूछें कि क्या देखा ? सभी प्राकृतिक सौंदर्य के वर्णन के साथ अनायास कह उठते हैं पहाड़ों पर पहाड़ों को जीतती पहाड़ी स्त्रियों को काम करते देखा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पहाड़ों का चप्पा - चप्पा अगर किसी से परिचित है तो वह हैं यहाँ की…

सौढ़ का प्राकृतिक सौंदर्य इतना रमणीय है कि कुछ समय तो मन अभिभूत धन्यवाद के अन्दाज़ में ही रहा। धन्यवाद समय को, धन्यवाद परिजनों को, धन्यवाद उन गुरुओं को जिन्होंने इस सुंदरता को आत्म सात करने के लिए निगाह तराशी। गॉंव वालों का अपनापन ऐसा था कि हम सब एक परिवार की तरह उठ -बैठ, खा-पी, रहे थे। वो थोड़े…

सुबह-सवेरे पाँच बजे चूड़ियों की खनक, खुरपी की छप्प-छप्प, कुदाली से मिट्टी के ढलों की टूटन, पौधों को जड़ों से उखाड़ने की आवाज़, फिर धरती पर झप-झप, सब कुछ एक लय - एक गति। कुछ ऐसा जो बहुत पुरानी यादों का पिटारा खोलता सा लगा। कुछ ऐसा धरती से जुड़ा संगीत जिसे सुनकर मन प्रफुल्लित हुआ। मैं झट से उठकर…

ट्रेन के सिटिंग कम्पार्ट्मेंट में बैठे हम बहुत उत्सुकता से बोलपुर स्टेशन का इंतज़ार कर रहे थे। कोलकाता से बहुत लम्बा रास्ता नहीं था। पर आज बचपन की मुराद पूरी होने जा रही थी। हम शांति निकेतन की यात्रा पर थे। किसी ज़माने में माँ की बहुत इच्छा थी कि मैं शांति निकेतन से ग्रैजुएशन करूँ। बचपन से कहती थीं…

बहुत सही नारा है। हर गली-मुहल्ले, टेलिफोन वार्तालाप, स्कूल, यूनिवर्सिटी की कैंटीन या नुक्कड़ नाटक के dialogue में अक्सर सुनायी पड़ रहा है। Change- yes, Change in what? परिस्थिति, वातावरण, राजनीति या आर्थिक नीति? कहाँ चाहिए change? इस change को लानेवाला कौन है? अलादीन का चिराग़-जिन्न या देश का युवा? जो सोचता बहुत है दम-ख़म भी रखता है पर पहल…

मेरे सभी पुत्रों और पुत्रियों, मैं अब 93 वर्ष का हो चला हूँ। मैं भारतीय आर्मी का एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल हूँ। शायद अभी तक पुराने ज़माने से ताल्लुक रखता हूँ। मैं जीवन के अन्तिम प़ड़ाव में चल रहा हूँ। मैंने विवाह नहीं किया, मेरा अन्य कोई परिवार नहीं है। मेरे जियू (Jew) वंश की आखिरी पहचान मेरे साथ ही…

सुबह-सुबह पेड़ों की पत्तियों से छनकर आती सूर्य की किरणें कुछ चमत्कारिक आभास दे रही थीं। यदा-कदा कुछ लोग पार्क में घूमते दिख रहे थे। यहाँ लगे पेड़ कम से कम सौ डेढ़ सौ साल पुराने होंगे। उनके पुख़्ता तने के चारों तरफ़ फैली टहनियाँ और उन पर कूंजती कोयल मौसम बदलने का साफ़ संकेत दे रही थी। तभी कहीं…

माइक पर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए डॉक्टर बेनीप्रसाद भविष्य के युवा लीडर्ज़ को सम्बोधित कर रहे थे। इंडियन हैबिटैट सेंटर में एक शख़्स अपने अजूबे गिटार के साथ प्रविष्ट हुए। उनकी और गिटार की छटा निराली थी। स्वयं भी रोचक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लगे। लम्बे घुंघराले बाल, हाथों में ढेरों फ़्रेंड्शिप बैंड, आँखों में निरीह सौम्यता…

जीवन में औरों से हटकर कुछ नया करने की इच्छा क़िसमें नहीं होती? सभी अपने-अपने दायरे से बाहर निकलकर दुनिया को जीतने का हौसला रखते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आप किसी से मिलकर इतने प्रभावित हो जाते हैं कि दुबारा मिलकर उनके बारे में और जानने की इच्छा प्रबल हो जाती है। उड़ीसा में जन्मे श्री…

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